वि.संवत 2008 मं गांव सांडवा मं भंवरसींघ नांव रो डाकु दस डाकुआं न सागे लेर पीस्तुला हाथां मं अर ऊँठा पर सवार हू र लुटणने आयो उण दस डाकुआं री मुठभेङ ठाकुर श्री गुमानसींघजी स्युं हुई गुमानसींघ एकला उण डाकुआ स्युं मुकाबलो कर र डाकुआ न मार भगाया इस तरीया गांव री रक्ष्या करणे पर श्री गुमानसींघजी ने उण समै रा राजस्थान रा मुख्यमंत्री श्री टीकाराम पालीवाल गणतंत्र दिवस पर जैपुर मं 12 बोर री बंदुक अर नगद ईनाम देर सम्मानित क़र्या । ईण बात न गांव रा बुढ-बडेरा एक कवीता मं बतावे है कीण विध गांव की लाज बचाई तो ल्यो बांचो……..
दीन पे दयालु है वीर की उङावे थोथी तोङे ना मर्यादा वीर छत्राणी को जायो है
साथ में दीवानखान वीर पहलवान सब उँठ पर पलाण पंछी पीतळियो सजायो है
चढकर सवार पंछी सांडवे मं आयो है
तरणाउ को रेवणळो नांव डाकु भंवरसींघ बतायो है
जो जो गांव का मुखीया सब विप्र जाट साहुकार
भेळा करके केवण लाग्यो देवो म्हाने तीस हजार
नहीं तो मचाउ लुट छोङु नहीं सगळा न खांऊ
सांडवे मं आय के खाली हाथ नहीं जांउ
ईतनी बात सुणी गुमासतो गढ मं जाकर करी पुकार
आज धुम मचाई धाङवी अरज सुणो म्हारी सरकार
सुण ठाकर ठंडा भया सुद बुद गया भूल
नहीं सकां डाकुआं अर अणगीणती पीसतूल
ईतरी सुण ठुकराणी कह्यो क्युं बांधो थे सेर सुत
काम पङ्या थे पाछा हटो क्युं बाजो रजपुत
कम भणीया कम अकल का क्युं थे भया उदास
चुङी पेहरो थे हाथां मं जा बेठो रणवास
द्यो तलवार तुरंत जाउं मं बल देखो रजपुताणी का
नहीं भगाउँ डाकुआँ न तो नहीं चुंग्या छत्राणी का
एडी स्युं चोटी लागी सुण मां छत्राणी की बात
कुंवर आँख गुलाबी कर उठ्यो ले दुनाळी हाथ
बदुंका री गोळीया बाजण लागी च्यांरु कुंट
भगदङ मचगी धाङव्यां मं तज तज भाग्या उँठ
रक्ष्या करली गांव री रखली कुळ री लाज
जीत हुई सरकार की जय करणी महाराज
Monday, April 20, 2009
भगदङ मचगी धाङव्यां मं तज तज भाग्या ऊँठ
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Bahut hi achhi lagi aapki ye kavita
ReplyDeleteyarrr solid h...hh
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