Pages

Sunday, June 15, 2014

म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव

म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।
कोरा कोरा मटका रो सोंधो -सोंधो पाणी।
गर्मी रा मौसम को कलेवो,छाछ -राबड़ी और धाणी
पीपल अर खेजडा री, ठंडी शीतळ छांव
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।(1)

पावणा रो अठे होव मोकलो सत्कार
टाबर ,जिव -जिनवारा न हेत रो पुचकार
सीधा सांचा लोग अठा रा, त्योंहारा रो चाव
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।(2)

केर कमटिया सांगरी का मेवा री सुवास
धर्म दान और वीरता रा मंड्या पड्या इतिहास
नर -नारयां रो अठे ,फुटरो बणाव्
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।(3)

प्याऊ ठंडा पानी का, हेला रो हेत अठे
मीठी बोली ऱी अपणायत आ सोना जेड़ी रेत् कठे
दुबड़ी ऱी जड़ की तरियां, आपस रो जुडाव
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।(4)


-गजेन्द्र सिंह शेखावत 
शब्दार्थ- 1.कलेवा- नाश्ता, 2.पावणा-मेहमान,3. मोकल़ो- खूब अच्छा,4.टाबर -बच्चे ,4.फुटरो- सुंदर,5.बणाव्- श्रृंगार, 6.हेत-अपणायत - नेह ,आत्मीयता