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Tuesday, April 13, 2010

जीणो दो’रो जगत म - हनुमान सिंह शेखावत "हनी"


मिनख बध्या अणथाग, घटग्यो मिनखपणो
बाङ खेत नै खाय, जीणो दो’रो जगत में

भाई - भाई आज, खेलै डोढा डांव में
ब’ख आयां भचभीङ, जीणो क्यांरो जगत में

होठां मुळक दिखाय, कोठै राखै कतरणी
बचणो दो’रो काम, राम रुखाळो जगत में

एढै - मेढै मांय, एं’चक-ताणो ताण दे
रंग में भंग दे ना’ख,खींस निपोरै जगत में

छापातिलक लगाय,दिन में मिंदर मांज ल्यै
रात्यूं नरक बसाय, किणनै कैवां जगत में

धरम सभा में जाय, धोळी चादर ओढ ल्यै
दे बारै आय ब’गाय, रापट- रोळ जगत में

चोर उचक्कां मौज,इज्जत बिक’री दो टकां
लुच्चां री ललकार, रोज सुणीजै जगत में

सामीं मुळकण दीठ, वार छुरी रो पीठ पर
सांपा रा सिरदार, जीभ लपोरै जगत में

एकी- बेकी नांय, भांग कुवै में जा रळी
किणनै देवां दोस, रेळम - पेळ जगत में

हिवङै रो हिंवळास, बात पुराणी होयगी
प्रेम गैयो पताळ, बंतळ किणसूं जगत में

सांवरिया लै सांभ, मिनख जमारो थांरलो
धाया इणसूं धीन, दो’रो रैणो जगत में

मान-मान ’हणमान’, भूंडी बातां क्यूं करै
कुण देवै तनै कान,चुप’ई चोखो जगत में


-हनुमान सिंह शेखावत "हनी"
एम.डी.,
एस.एस.आर. माध्यमिक विद्यालय,
लूनकरनसर(बीकानेर)
मो.9414450287 प्रस्तुति : राज बिजारणियां

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