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Wednesday, July 28, 2010

राजस्थानी भाषा

राजस्थानी भाषा

राज बणाया राजव्यां,भाषा थरपी ज्यान ।
बिन भाषा रै भायला,क्यां रो राजस्थान ॥१॥


रोटी-बेटी आपणी,भाषा अर बोवार ।

राजस्थानी है भाई,आडो क्यूं दरबार ॥२॥


राजस्थानी रै साथ में,जनम मरण रो सीर ।

बिन भाषा रै भायला,कुत्तिया खावै खीर ।।३॥


पंचायत तो मोकळी,पंच बैठिया मून ।

बिन भाषा रै भायला,च्यारूं कूंटां सून ॥४॥


भलो बणायो बाप जी,गूंगो राजस्थान ।

बिन भाषा रै प्रांत तो,बिन देवळ रो थान॥५॥

आजादी रै बाद सूं,मून है राजस्थान ।

अपरोगी भाषा अठै,कूकर खुलै जुबान ॥६॥


राजस्थान सिरमोड है,मायड भाषा मान ।

दोनां माथै गरब है,दोनां साथै शान ॥७॥


बाजर पाकै खेत में,भाषा पाकै हेत ।

दोनां रै छूट्यां पछै,हाथां आवै रेत ॥८॥


निज भाषा सूं हेत नीं,पर भाषा सूं हेत ।

जग में हांसी होयसी,सिर में पड्सी रेत ॥९॥


निज री भाषा होंवतां,पर भाषा सूं प्रीत ।

ऐडै कुळघातियां रो ,जग में कुण सो मीत ॥१०॥


घर दफ़्तर अर बारनै,निज भाषा ई बोल ।

मायड भाषा रै बिना,डांगर जितनो मोल ॥११॥


मायड भाषा नीं तजै,डांगर-पंछी-कीट ।

माणस भाषा क्यूं तजै, इतरा क्यूं है ढीट ॥१२॥


मायड भाषा रै बिना,देस हुवै परदेस ।

आप तो अबोला फ़िरै,दूजा खोसै केस ॥१३॥


भाषा निज री बोलियो,पर भाषा नै छोड ।

पर भाषा बोलै जका,बै पाखंडी मोड ॥१४॥


मायड भाषा भली घणी, ज्यूं व्है मीठी खांड ।

पर भाषा नै बोलता,जाबक दीखै भांड ॥१५॥


जिण धरती पर बास है,भाषा उण री बोल ।

भाषा साथ मान है , भाषा लारै मोल ॥१६॥


मायड भाषा बेलियो,निज रो है सनमान ।

पर भाषा नै बोल कर,क्यूं गमाओ शान ॥१७॥


राजस्थानी भाषा नै,जितरो मिलसी मान ।

आन-बान अर शान सूं,निखरसी राजस्थान ॥१८॥


धन कमायां नीं मिलै,बो सांचो सनमान ।

मायड भाषा रै बिना,लूंठा खोसै कान ॥१९॥


म्हे तो भाया मांगस्यां,सणै मान सनमान ।

राजस्थानी भाषा में,हसतो-बसतो रजथान ॥२०॥


निज भाषा नै छोड कर,पर भाषा अपणाय ।

ऐडै पूतां नै देख ,मायड भौम लजाय ॥२१॥


भाषा आपणी शान है,भाषा ही है मान ।

भाषा रै ई कारणै,बोलां राजस्थान ॥२२॥


मायड भाषा मोवणी,ज्यूं मोत्यां रो हार ।

बिन भाषा रै भायला,सूनो लागै थार ॥२३॥


जिण धरती पर जळमियो,भाषा उण री बोल ।

मायड भाषा छोड कर, मती गमाओ डोळ ॥२४॥


हिन्दी म्हारो काळजियो,राजस्थानी स ज्यान ।

आं दोन्यूं भाषा बिना,रै’सी कठै पिछाण ॥२५॥


राजस्थानी भाषा है,राजस्थान रै साथ ।

पेट आपणा नीं पळै,पर भाषा रै हाथ ॥२६॥


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